मध्य रेल्वे, webside

मध्य रेल्वे, मुंबई

 

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई-400 001
भारत के इतिहास में एक नए युग का सूत्रपात उस समय हुआ जब 16 अप्रैल 1853 को बोरी बंदर (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) से “तत्राह ” (अब ठाणे) के बीच की 34 कि.मी. की दूरी तय करते हुए रेलवे की पहली रेल गाड़ी चली थी । इस घटना ने भारत के इतिहास को हमेशा – हमेशा के लिए बदल डाला । इसे विश्व के सबसे बडे महाद्वीप-एशिया, में रेलवे युग की शुरूवात के रूप में भी देखा जाता है।
लगभग एक वर्ष के पश्चात इस रेलवे लाइन का ठाणे से कल्याण (20 कि.मी.) तक विस्तार हुआ। कल्याण से यह लाइन दो दिशाओं में वीभाजित हो जाती है अर्थात् उत्तर –पूर्व लाइन इगतपुरी और भुसावल की ओर तथा दक्षिण- पूर्व लाइन पुणे तथा सोलापुर की ओर जाती है। दो घाट खंडों (भोर तथा थल) से होकर इस लाइन केनिर्माण में 7 से 9 वर्षों तक का समय लगा। आस्ट्रीयन पर्वत शिखर में सेमरिंग पास ही रेल निर्माण के इतिहास में पहली समानांतर लाइन थी जो पर्वतीय श्रृखंलाओं से होकर गुजरती थी। 1861 से 1870 तक का समय जीआईपी रेलवे के लिए काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि इस कालावधि में तेजी से विकसित होते औद्योगिक शहर मुंबई को भारत की शाही राजधानी कलकत्ता के साथ जोडा़ गया। इसी दशक में, बॉम्बे (अब मुंबई) को मद्रास (अब चेन्नई) के साथ- साथ नागपुर से भी जोडा़ गया।
रेलों का शिघ्र ही तेजी से विकास हुआ और भारत को रेलवे नेटवर्क के विश्व मानचित्र में स्थान मिला। ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे तथा ईस्ट इंडिया रेलवे के पदचिह्नों पर चलते हुए अन्य रेलवे कंपनियां अर्थात् बॉम्बे,बड़ौदा तथा सेंट्रल इंडिया रेलवे (बीबी एंड सीआई),मद्रास रेलवे तथा कई अन्य कंपनियां अस्तित्व में आईं। एक समय ऐसा भी था जब भारत में 42 रेलवे कंपनियां अस्तित्व में थीं। विलयन के पश्चात इन कंपनियों की संख्या 25 हुईं। आजा़दी के बाद 1951 में इन 25 रेलवे कंपनियों का विलय कर 09 क्षेत्रीय रेलों का गठन किया गया। तब से अब तक मध्य रेल का अभूतपूर्व विकास हुआ है। वर्ष 2003 तक मध्य रेल के पास 7151 रूट कि.मी. तथा 10896 ट्रैक कि.मी.का विशाल नेटवर्क है जो 812 स्टेशनों को आपस में जोड़ता है।
1.42003 से क्षेत्रिय रेलों के पुनर्गठन के पश्चात मध्य रेल के पास 3832 रूट कि.मी. तथा 5818 ट्रैक कि.मी.का नेटवर्क है जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक में स्थित 05 मंडलों के 476 स्टेशनों को आपस में जोड़ते हुए यात्री तथा वाहक के रूप में देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
मध्य रेल समग्र भारतीय रेलों में अग्रणी यात्री वहन प्रणाली है। यह लगभग 548 मेल/एक्सप्रेस/सवारी गाड़ियों से प्रतिदिन 4 लाख यात्रियोंको देश के कोने-कोन मे ले जाती हैं।मुंबई की उपनगरीय गाड़ी प्रणाली इस महानगर की जीवन रेखा है जहां 73 स्टेशनों से 1236 लोकल गाड़ियों मे प्रतिदिन 3 मिलियन यात्री यात्रा करते हैं। मध्य रेल व्दारा पुणे-लोणावला खंड पर 40 उपनगरीय गाड़ियां भी चलाई जाती हैं।

 


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